दुनिया है ख़्वाब हासिल-ए-दुनिया ख़याल है
इंसान ख़्वाब देख रहा है ख़याल में
Gulzar
Javed Akhtar
Anwar Masood
Parveen Shakir
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Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
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ये किस ने शाख़-ए-गुल ला कर क़रीब-ए-आशियाँ रख दी
कहानी मेरी रूदाद-ए-जहाँ मालूम होती है
ये शराब-ए-इश्क़ ऐ 'सीमाब' है पीने की चीज़
हुस्न के दिल में जगह पाते ही दीवाना बने
जिस जगह जम्अ तिरे ख़ाक-नशीं होते हैं
तुझे दानिस्ता महफ़िल में जो देखा हो तो मुजरिम हूँ
जब तक ग़म-ए-उल्फ़त का उंसुर न मिला होगा
आ कि हस्ती बे-लब-ओ-बे-जोश है तेरे बग़ैर
आँख से टपका जो आँसू वो सितारा हो गया
रस्मन ही उन को नाला-ए-दिल की ख़बर तो हो
देखते रहते हैं छुप-छुप के मुरक़्क़ा तेरा
नसीम-ए-सुब्ह गुलशन में गुलों से खेलती होगी