इक तरफ़ तलब तेरी इक तरफ़ ज़माना है

इक तरफ़ तलब तेरी इक तरफ़ ज़माना है

पूछता है दिल मुझ से किस तरफ़ को जाना है

मेरे घर वो आएगा आज घर सजाना है

इस तरफ़ की चीज़ों को उस तरफ़ लगाना है

नक़्श-हा-ए-रंगीं का इक निगार-ख़ाना है

ज़िंदगी हक़ीक़त है ज़िंदगी फ़साना है

जज़्बा-ए-जुनून-ए-इश्क़ गो बहुत पुराना है

फिर भी ताज़ा-तर है ये फिर भी वालिहाना है

पाएँगे ख़ुशी भी हम रंज-ओ-ग़म भी झेलेंगे

इस जहान में जब तक अपना आब-ओ-दाना है

दुश्मनों के ताने हैं दोस्तों की तन्क़ीदें

तीर सैकड़ों हैं और एक दिल निशाना है

आतिशीं है लहजा भी गुफ़्तुगू भी बारूदी

सोचिए 'शफ़ीक़' उस से किस तरह निभाना है

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In Hindi By Famous Poet Shafiq Ahmad. is written by Shafiq Ahmad. Complete Poem in Hindi by Shafiq Ahmad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.