भूल कर भी कोई लेता नहीं अब नाम-ए-वफ़ा
इश्क़ इस शहर में गर्दन-ज़दनी हो जैसे
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Wasi Shah
Gulzar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Anwar Masood
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हज़ार चेहरे हैं मौजूद आदमी ग़ाएब
उट्ठी हैं मेरी ख़ाक से आफ़ात सब की सब
रूह की आग
तुम्हारी बज़्म से भी उठ चले हैं दीवाने
दरिया कभी इक हाल में बहता न रहेगा
दिल सा वहशी कभी क़ाबू में न आया यारो
बे-शुमार आँखें
अपनी तस्वीर को आँखों से लगाता क्या है
करो बे-नूर महफ़िल-ए-इमरोज़
आँखें न खुलें नूर के सैलाब में मेरी
अब तो साफ़ सुनता हूँ अपने दिल की हर धड़कन
दरख़्तों पर कोई पत्ता नहीं था