मैं सुन रहा हूँ मगर दूसरों को कैसे सुनाऊँ
जो गीत गूँजता रहता है मेरे कानों में
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Anwar Masood
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(422) Peoples Rate This
न मिले वो तो तलाश उस की भी रहती है मुझे
वाक़िआ कोई न जन्नत में हुआ मेरे ब'अद
दिल बहुत मसरूफ़ था कल आज बे-कारों में है
मैं अपनी जाँ में उसे जज़्ब किस तरह करता
ये भी सच है कि नहीं है कोई रिश्ता तुझ से
तन्हाई में आ जाती हैं हूरें मिरे घर में
नींद आती है अगर जलती हुई आँखों में
गोशा-ए-दिल की ख़मोशी का तमन्नाई मैं
रहने दिया न उस ने किसी काम का मुझे
वैसे तो इक दूसरे की सब सुनते हैं
तुम्हारी आँख में कैफ़िय्यत-ए-ख़ुमार तो है
जहाँ में हम ने किसी से भी खुल के बात न की