उस को ख़बर हुई तो बदल जाएगा वो रंग
एहसास तक न उस को दिला और देख ले
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Wasi Shah
Habib Jalib
Anwar Masood
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(534) Peoples Rate This
न मैं ने दस्त-शनासी का फिर किया दावा
यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ
तिरी तलाश तो क्या तेरी आस भी न रहे
लगे थे ग़म तुझे किस उम्र में ज़माने के
नक़्श-ए-हैरत बन गई दुनिया सितारों की तरह
मतलूब है क्या अब यही कहते नहीं बनती
अपनी तस्वीर को आँखों से लगाता क्या है
ज़बानें थक चुकीं पत्थर हुए कान
यूँ तर्क-ए-तअल्लुक़ की क़सम खाए हुए हों
ख़ुद ही मिल बैठे हो ये कैसी शनासाई हुई
कभी कभी छलक उठता है आब ओ रंग उन का
हर तरफ़ फैली हुई थी रौशनी ही रौशनी