किस तरह पहुँचूँ मैं अपने यार किन पंजाब में
हो गया राहों में चश्मों से दो-आबा बे-तरह
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दहन है तंग शकर और शकर है तिरा है कलाम
एहसान तिरा दिल मिरा क्या याद करेगा
इस ज़माने में न हो क्यूँकर हमारा दिल उदास
कोई है सुर्ख़-पोश कोई ज़र्द-पोश है
रात मेरे फ़ुग़ाँ-ओ-नाले से
हम को कब इंतिज़ार है फ़स्ल-ए-बहार हो न हो
कोहकन जाँ-कनी है मुश्किल काम
इस क़दर की सर्फ़ तस्ख़ीर-ए-परी-रूयाँ में उम्र
हमारी अक़्ल-ए-बे-तदबीर पर तदबीर हँसती है
हुस्न आईना फ़ाश करता है
फड़कूँ तो सर फटे है न फड़कूँ तो जी घटे