हमारी अक़्ल-ए-बे-तदबीर पर तदबीर हँसती है
अगर तदबीर हम करते हैं तो तक़दीर हँसती है
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एक तो तिरी दौलत था ही दिल ये सौदाई
इस वास्ते निकलूँ हूँ तिरे कूचे से बच बच
कोई है सुर्ख़-पोश कोई ज़र्द-पोश है
जो मय-ख़ाने में जाता था क़दम रखते झिझकता था
नासेह बग़ल में आ कर दुश्मन हुआ हमारा
इस दुख में हाए यार यगाने किधर गए
मुहय्या सब है अब अस्बाब-ए-होली
मेरे आँसू के पोछने को मियाँ
मुझे क्या देख कर तू तक रहा है
आ कर तिरी गली में क़दम-बोसी के लिए
तुम तो बैठे हुए पुर-आफ़त हो
तुर्फ़ा माजून है हमारा यार