मेरे आँसू के पोछने को मियाँ
तेरी हो आस्तीं ख़ुदा न करे
Parveen Shakir
Wasi Shah
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Gulzar
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(559) Peoples Rate This
चाँद से तुझ को जो दे निस्बत सो बे-इंसाफ़ है
ऐ दिल न कर तू फ़िक्र पड़ेगा बला के हाथ
नौ-जवानों को देख कर 'हातिम'
सुनो हिन्दू मुसलमानो कि फ़ैज़-ए-इश्क़ से 'हातिम'
चला जाता था 'हातिम' आज कुछ वाही-तबाही सा
सब मुख़ालिफ़ जब किनारे हो गए
इश्क़-बाज़ी बुल-हवस बाज़ी न जान
तेरे आने से यू ख़ुशी है दिल
नज़र में बंद करे है तू एक आलम को
जिस ने पाया उसे सो है ख़ामोश
खेल सब छोड़ खेल अपना खेल
तू सुब्ह-दम न नहा बे-हिजाब दरिया में