मेरा माशूक़ है मज़ों में भरा
कभू मीठा कभू सलोना है
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ख़ाक कर देवे जला कर पहले फिर टिसवे बहाए
हमारी अक़्ल-ए-बे-तदबीर पर तदबीर हँसती है
जवाब-ए-नामा या देता नहीं या क़ैद करता है
क्या उस की सिफ़त में गुफ़्तुगू है
कोहकन जाँ-कनी है मुश्किल काम
तुम्हारे इश्क़ में हम नंग-ओ-नाम भूल गए
है राह-ए-आशिक़ी तारीक और बारीक और सुकड़ी
दर-ओ-दीवार-ए-चमन आज हैं ख़ूँ से लबरेज़
आज हमें और ही नज़र आता है कुछ सोहबत का रंग
आशिक़ों के सैर करने का जहाँ ही और है
क्यूँ मोज़ाहिम है मेरे आने से
अदा-ओ-नाज़ ओ करिश्मा जफ़ा-ओ-जौर-ओ-सितम