इस ज़माने में न हो क्यूँकर हमारा दिल उदास
देख कर अहवाल-ए-आलम उड़ते जाते हैं हवास
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दर्द-ए-दिल मेरी आह से पूछो
देखूँ हूँ तुझ को दूर से बैठा हज़ार कोस
हाथ में देख कर तिरे मरहम
मैं ज़ात का उस की आश्ना हूँ
क्यूँकि दीवाना बेड़ियाँ तोड़े
निगाहें जोड़ और आँखें चुरा टुक चल के फिर देखा
जिस तरफ़ को मैं गया रोता हुआ
जिस को देखा सो यहाँ दुश्मन-ए-जाँ है अपना
वहशत से हर सुख़न मिरा गोया ग़ज़ाला है
बदन पर कुछ मिरे ज़ाहिर नहीं और दिल में सोज़िश है
दर्द तू मेरे पास से मरते तलक न जाइयो
तू जो कहता है बोलता क्या है