कुछ लोग हैं जो झेल रहे हैं मुसीबतें
कुछ लोग हैं जो वक़्त से पहले बदल गए
Habib Jalib
Allama Iqbal
Rahat Indori
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Gulzar
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Anwar Masood
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ये तिरी ख़ल्क़-नवाज़ी का तक़ाज़ा भी नहीं
लोग कहते हैं कि इस खेल में सर जाते हैं
अब बंद जो इस अब्र-ए-गुहर-बार को लग जाए
रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे
थोड़ा सा माहौल बनाना होता है
कितने अख़बार-फ़रोशों को सहाफ़ी लिक्खा
खाने को तो ज़हर भी खाया जा सकता है
किसी का साथ मियाँ जी सदा नहीं रहा है
किन ज़मीनों पे उतारोगे इमदाद का क़हर
कोई भी दार से ज़िंदा नहीं उतरता है
शदीद गर्मी में कैसे निकले वो फूल-चेहरा
वफ़ादारों पे आफ़त आ रही है