सब से पहले दिल के ख़ाली-पन को भरना
पैसा सारी उम्र कमाया जा सकता है
Javed Akhtar
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ये तिरी ख़ल्क़-नवाज़ी का तक़ाज़ा भी नहीं
दुखों में उस के इज़ाफ़ा भी मैं ही करता हूँ
अभी रौशन हुआ जाता है रस्ता
कहानी में छोटा सा किरदार है
तुम्हारे बा'द बड़ा फ़र्क़ आ गया हम में
दिलों के माबैन शक की दीवार हो रही है
अपने ख़ून से इतनी तो उम्मीदें हैं
ग़म के पीछे मारे मारे फिरना क्या
शदीद गर्मी में कैसे निकले वो फूल-चेहरा
झूट सच्चाई का हिस्सा हो गया
रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे