रात थी जब तुम्हारा शहर आया
फिर भी खिड़की तो मैं ने खौल ही ली
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Anwar Masood
Rahat Indori
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Wasi Shah
Habib Jalib
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2755) Peoples Rate This
अचानक भीड़ का ख़ामोश हो जाना
तरह तरह से मिरा दिल बढ़ाया जाता है
एक दिन हम अचानक बड़े हो गए
रात बे-पर्दा सी लगती है मुझे
बीच भँवर से लौट आऊँगा
एक मुद्दत हुई घर से निकले हुए
कम से कम दुनिया से इतना मिरा रिश्ता हो जाए
किस तरह आए हैं इस पहली मुलाक़ात तलक
नज़र भर देख लूँ बस
वो बकरा फिर अकेला पड़ गया है
कुत्ते की मौत
छुट्टी का दिन