क़ुर्ब का उस के उठा कर फ़ाएदा
हिज्र का सामाँ इकट्ठा कर लिया
Habib Jalib
Allama Iqbal
Anwar Masood
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Jaun Eliya
Gulzar
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
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इंतिहा तक बात ले जाता हूँ मैं
तरह तरह से मिरा दिल बढ़ाया जाता है
नहीं मैं हौसला तो कर रहा था
अपने तमाशे का टिकट
दूसरे हाथ का दुख
किस एहसास-ए-जुर्म की सब करते हैं तवक़्क़ो
अजब लहजे में करते थे दर ओ दीवार बातें
इबादत के वक़्त में हिस्सा
छुट्टी का दिन
भीड़ में जब तक रहते हैं जोशीले हैं
दुनिया शायद भूल रही है
मुजरिम होने की मजबूरी