सब आसान हुआ जाता है
मुश्किल वक़्त तो अब आया है
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कुत्ते की मौत
नज़र भर देख लूँ बस
पहली बार वो ख़त लिक्खा था
कौन था वो जिस ने ये हाल किया है मेरा
कुछ क़दम और मुझे जिस्म को ढोना है यहाँ
रात बे-पर्दा सी लगती है मुझे
अचानक हड़बड़ा कर नींद से मैं जाग उट्ठा हूँ
बहुत भटके तो हम समझे हैं ये बात
हो सबब कुछ भी मिरे आँख बचाने का मगर
नींद के वास्ते वैसे भी ज़रूरी है थकन
यक़ीन के ख़िलाफ़
सामने तेरे हूँ घबराया हुआ