सारी दुनिया से लड़े जिस के लिए
एक दिन उस से भी झगड़ा कर लिया
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आओ गले मिल कर ये देखें
पहली बार वो ख़त लिक्खा था
सब आसान हुआ जाता है
झूट पर उस के भरोसा कर लिया
यक़ीन के ख़िलाफ़
उदास हैं सब पता नहीं घर में क्या हुआ है
कौन था वो जिस ने ये हाल किया है मेरा
अचानक भीड़ का ख़ामोश हो जाना
भीड़ में जब तक रहते हैं जोशीले हैं
सर्कस में नौकरी का आख़िरी दिन
तो क्या मरना भी अब मुमकिन नहीं है
कम से कम दुनिया से इतना मिरा रिश्ता हो जाए