जाने किस की थी ख़ता याद नहीं
हम हुए कैसे जुदा याद नहीं
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काविश-ए-बेश-ओ-कम की बात न कर
हर दर्द को कर लिया गवारा मैं ने
कितनी हंगामा-ख़ू तमन्नाएँ
आग़ोश में आ कि कामरानी कर लूँ
जब भी दो आँसू निकल कर रह गए
वो मुझ से हुए हम-कलाम अल्लाह अल्लाह
न जाने कट गया किस बे-ख़ुदी के आलम में
वो हुस्न को जल्वा-गर करेंगे
मोहब्बत किस क़दर सेहर-आफ़रीं मालूम होती है
ये मरहला-हा-ए-शौक़ तौबा तौबा
कितनी फ़रियादें लबों पर रुक गईं