ख़याल तक न किया अहल-ए-अंजुमन ने ज़रा
तमाम रात जली शम्अ अंजुमन के लिए
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Habib Jalib
Jaun Eliya
Gulzar
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(422) Peoples Rate This
चला जाता है कारवान-ए-नफ़स
किस तरह हुस्न-ए-ज़बाँ की हो तरक़्क़ी 'वहशत'
अभी होते अगर दुनिया में 'दाग़'-ए-देहलवी ज़िंदा
और इशरत की तमन्ना क्या करें
आग़ाज़ से ज़ाहिर होता है अंजाम जो होने वाला है
मेहनत हो मुसीबत हो सितम हो तो मज़ा है
मुझ से जो न मिलते वो कोई रात न थी
ज़मीं रोई हमारे हाल पर और आसमाँ रोया
ज़ालिम की तो आदत है सताता ही रहेगा
'वहशत'-ए-मुब्तला ख़ुदा के लिए
सुरूर-अफ़्ज़ा हुई आख़िर शराब आहिस्ता आहिस्ता