जो अज़-ख़ुद-रफ़्ता है गुमराह है वो रहनुमा मेरा
जो इक आलम से है बेगाना है वो आश्ना मेरा
Rahat Indori
Gulzar
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Habib Jalib
Anwar Masood
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(430) Peoples Rate This
ऐ दिल तुझे करनी है अगर इश्क़ से बैअ'त
निकालूँ दिल से मैं नाले की किस तरह आवाज़
ऐ हम-दमाँ भुलाओ न तुम याद-ए-रफ़्तगाँ
मैं हूँ और साक़ी हो और हों रास ओ चुप ये वो बहम
इश्क़ जब दख़्ल करे है दिल-ए-इंसाँ में 'मुहिब'
ऐ दिल आता है चमन में वो शराबी तू पहुँच
बे-इश्क़ जितनी ख़ल्क़ है इंसाँ की शक्ल में
काफ़िर हुए सनम हम दीं-दार तेरी ख़ातिर
हमारी चाह साहब जानते हैं
चराग़-ए-का'बा-ओ-दैर एक सा है चश्म-ए-हक़-बीं में
नहीं दुनिया में सिवा ख़ार-ओ-ख़स-ए-कूचा-ए-दोस्त
बुलबुल बजाए अपने तुझे हम-नवा से बहस