यहाँ देखूँ वहाँ देखूँ इसे देखूँ उसे देखूँ
तुम्हारी ख़ुद-नुमाई ने मुझे डाला है हैरत में
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हसीनों में रुत्बा दो-बाला है तेरा
रंग जमने न दिया बात को चलने न दिया
कुछ शिकवे-गिले होते कुछ तैश सिवा होता
कभी बोलना वो ख़फ़ा ख़फ़ा कभी बैठना वो जुदा जुदा
वो किसी से तुम को जो रब्त था तुम्हें याद हो कि न याद हो
सख़्त दुश्वार है पहलू में बचाना दिल का
इंसान वो क्या जिस को न हो पास ज़बाँ का
दर्द और दर्द भी जुदाई का
'ज़हीर'-ए-ख़स्ता-जाँ सच है मोहब्बत कुछ बुरी शय है
तल्ख़ शिकवे लब-ए-शीरीं से मज़ा देते हैं
हाए काफ़िर तिरे हमराह अदू आता है
जाते हो तुम जो रूठ के जाते हैं जी से हम