उन्हें अपने गुदाज़-ए-दिल से अंदाज़ा था औरों का
जब इंसानों के दिल देखे तो इंसानों के दिल टूटे
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(926) Peoples Rate This
कैसे दुख कितनी चाह से देखा
हाबील
मुंजमिद होंटों पे है यख़ की तरह हर्फ़-ए-जुनूँ
दिखावा
इम्कान
रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आए
अधूरी
अब ये आँखें किसी तस्कीन से ताबिंदा नहीं
ख़ुद फ़रेब
आँसू
कही अन-कही
शजर जलते हैं शाख़ें जल रही हैं