गो उन्हें राह-ए-इंहिराफ़ नहीं
फिर भी उम्मीद-ए-ए'तिराफ़ नहीं
Anwar Masood
Allama Iqbal
Jaun Eliya
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Wasi Shah
Habib Jalib
Gulzar
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
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आरिज़ से तिरे सुब्ह की तोहमत न उठेगी
फ़िक्र-मंदी फ़ुज़ूल होती है
इसी तरह बातें किए जाइए
हम से वाइज़ ने बात की होती
गोश-ए-मुश्ताक़-ए-सदा-ए-नाला-ए-दिल अब कहाँ
जुनूँ शोला-सामाँ ख़िरद शबनम-अफ़्शाँ
पास-ए-पिंदार-ए-तबीअत दिल अगर रख ले तो क्या
आप के साथ मुस्कुराने में
जब तक कि मोहब्बत का चलन आम रहेगा
हमें भी ज़रूरत थी इक शख़्स की
इतने नादिम न होइए आख़िर
मुख़्तसर बात-चीत अच्छी है