अब कहाँ है वो नश्तरों की बहार
तंज़ रुख़्सत हुआ 'फ़िगार' के साथ
कुछ भी बाक़ी नहीं है महफ़िल में
शेरवानी गई 'ख़ुमार' के साथ
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Gulzar
Javed Akhtar
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जो आप पर फ़िदा हैं वो मेरे रक़ीब हैं
क़ातिल तो क़त्ल कर के कभी का निकल गया
ये मंज़र देख कर बीवी ने काटा अपने शौहर को
किसी से दिल लगाने में बड़ी तकलीफ़ होती है
दिया नींद ने ऐसा आँखों को धोका
सिलसिले ऊँचे ख़यालात से जोड़े हम ने
जब हटाई उस ने चेहरे से नक़ाब
अगर मिल गई हूर जन्नत में मुझ को
गधे के साथ इक लीडर का फोटो
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है
मुशायरों में हवा हूट जो मुसलसल मैं
दास्तान-ए-इश्क़ मैं ने जब कही ससुराल में