क़ातिल तो क़त्ल कर के कभी का निकल गया
करती रहे अब उस की पुलीस उम्र भर तलाश
आया बयाँ ये जाँच के ब'अद अब पुलीस का
बक्से में जा के लेट गई अपने आप लाश
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पहुँचा सियाह-फ़ाम इक आला-मक़ाम पर
हकला गया जो शादी में दूल्हा तो क्या हुआ
गधे के साथ इक लीडर का फोटो
आतंक का माहौल है छाया हुआ दिल पर
एक लीडर ने ये कहा मुझ से
अब कहाँ है वो नश्तरों की बहार
मुशायरों में हवा हूट जो मुसलसल मैं
ज़बान-ए-मादरी पूछी जो इक लड़के से कॉलेज में
रेट इतने बढ़े हैं जूतों के
है विटामिन की कमी आशिक़ में तेरे इस क़दर
सिलसिले ऊँचे ख़यालात से जोड़े हम ने
हाथ में पापड़ लिए बैठा था मैं