रेट इतने बढ़े हैं जूतों के
कैसे जूते ख़रीद कर लाऊँ
अब तो जूतों के वास्ते 'आसिम'
सोचता हूँ नमाज़ पढ़ आऊँ
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ये मंज़र देख कर बीवी ने काटा अपने शौहर को
जो आप पर फ़िदा हैं वो मेरे रक़ीब हैं
मेरी बीवी ने बना रक्खी है फुटबॉल की टीम
पहुँचा सियाह-फ़ाम इक आला-मक़ाम पर
मौत से मिलने गले देख तो आशिक़ तेरे
इश्क़ में सब्र आ गया 'आसिम'
आशिक़ों की तो है भर-मार तिरे कूचे में
वो हाल है हर एक बशर काँप रहा है
नाले कहीं बुलबुल के सुनाई नहीं देते
आतंक का माहौल है छाया हुआ दिल पर
मुशायरों में हवा हूट जो मुसलसल मैं
क़ातिल तो क़त्ल कर के कभी का निकल गया