नाले कहीं बुलबुल के सुनाई नहीं देते
आशिक़ भी शब-ए-ग़म में दुहाई नहीं देते
अब 'मीर' नहीं हैं तो गली सूनी पड़ी है
अत्तार के लौंडे भी दिखाई नहीं देते
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Parveen Shakir
Gulzar
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
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ये मंज़र देख कर बीवी ने काटा अपने शौहर को
ज़बान-ए-मादरी पूछी जो इक लड़के से कॉलेज में
आशिक़ों की तो है भर-मार तिरे कूचे में
पहुँचा सियाह-फ़ाम इक आला-मक़ाम पर
गधे के साथ इक लीडर का फोटो
हकला गया जो शादी में दूल्हा तो क्या हुआ
है विटामिन की कमी आशिक़ में तेरे इस क़दर
चाँद पर पहुँचा कोई झाँका कोई मिर्रीख़ में
किसी से दिल लगाने में बड़ी तकलीफ़ होती है
अब कहाँ है वो नश्तरों की बहार
सिलसिले ऊँचे ख़यालात से जोड़े हम ने