ये मंज़र देख कर बीवी ने काटा अपने शौहर को
अजब वहशत सी बरपा हो गई पर्दे पे टीवी के
हुई तारी कुछ इतनी हम पे घबराहट कि फिर हम ने
निकलवा डाले हैं सब एहतियातन दाँत बीवी के
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Rahat Indori
Wasi Shah
Javed Akhtar
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Habib Jalib
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(949) Peoples Rate This
अगर मिल गई हूर जन्नत में मुझ को
चाँद पर पहुँचा कोई झाँका कोई मिर्रीख़ में
मौत से मिलने गले देख तो आशिक़ तेरे
मैं ने कहा गधे से मियाँ कुछ पढ़ो लिखो
सिलसिले ऊँचे ख़यालात से जोड़े हम ने
क़ातिल तो क़त्ल कर के कभी का निकल गया
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है
रेट इतने बढ़े हैं जूतों के
कहानी इश्क़-ओ-मोहब्बत की ख़त्म पर आई
ज़बान-ए-मादरी पूछी जो इक लड़के से कॉलेज में
मेरी बीवी ने बना रक्खी है फुटबॉल की टीम