कहानी इश्क़-ओ-मोहब्बत की ख़त्म पर आई
हुआ ख़याल बिछड़ने की रहगुज़र आई
सरक गया जो दुपट्टा सफ़ेद बालों से
''तिरे जमाल की दोशीज़गी नज़र आई''
Faiz Ahmad Faiz
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है विटामिन की कमी आशिक़ में तेरे इस क़दर
दिया नींद ने ऐसा आँखों को धोका
अब कहाँ है वो नश्तरों की बहार
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है
ज़बान-ए-मादरी पूछी जो इक लड़के से कॉलेज में
मर जाए मौलवी तो फ़क़त होगी फ़ातिहा
जब हटाई उस ने चेहरे से नक़ाब
मौत से मिलने गले देख तो आशिक़ तेरे
एक लीडर ने ये कहा मुझ से
सिलसिले ऊँचे ख़यालात से जोड़े हम ने
जो आप पर फ़िदा हैं वो मेरे रक़ीब हैं
हकला गया जो शादी में दूल्हा तो क्या हुआ