इश्क़ में सब्र आ गया 'आसिम'
और क्या होगा इस कमाल के ब'अद
इश्क़ फूले फलेगा अब शायद
उन के अब्बा के इंतिक़ाल के ब'अद
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अगर मिल गई हूर जन्नत में मुझ को
जो आप पर फ़िदा हैं वो मेरे रक़ीब हैं
दिया नींद ने ऐसा आँखों को धोका
दास्तान-ए-इश्क़ मैं ने जब कही ससुराल में
मर जाए मौलवी तो फ़क़त होगी फ़ातिहा
ये मंज़र देख कर बीवी ने काटा अपने शौहर को
गधे के साथ इक लीडर का फोटो
मौत से मिलने गले देख तो आशिक़ तेरे
रेट इतने बढ़े हैं जूतों के
अब कहाँ है वो नश्तरों की बहार
मुशायरों में हवा हूट जो मुसलसल मैं
हाथ में पापड़ लिए बैठा था मैं