मरमरीं मरक़दों पे वक़्त-ए-सहर
मय-कशी की बिसात गर्म करें
मौत के संग-दिल ग़िलाफ़ों को
साग़रों की खनक से नर्म करें
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Habib Jalib
Wasi Shah
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Gulzar
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Rahat Indori
Ahmad Faraz
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मय-कदा है यहाँ सकूँ से बैठ
शब की बेदारियाँ नहीं अच्छी
सितारों के आगे जो आबादियाँ हैं
हँस के बोला करो बुलाया करो
इक शिकस्ता से मक़बरे के क़रीब
आख़िरत का ख़याल भी साक़ी
जुनूँ अब मंज़िलें तय कर रहा है
हम ने हसरतों के दाग़ आँसुओं से धो लिए
छोड़ा नहीं ख़ुदी को दौड़े ख़ुदा के पीछे
हम से चुनाँ-चुनीं न करो हम नशे में हैं
सो के जब वो निगार उठता है
जा रहा था हरम को मैं लेकिन