Khawab Poetry of Abhishek Shukla

Khawab Poetry of Abhishek Shukla
नामअभिषेक शुक्ला
अंग्रेज़ी नामAbhishek Shukla
जन्म की तारीख1985
जन्म स्थानLucknow

तेरी आँखों के लिए इतनी सज़ा काफ़ी है

शब भर इक आवाज़ बनाई सुब्ह हुई तो चीख़ पड़े

सफ़र के बाद भी ज़ौक़-ए-सफ़र न रह जाए

सुर्ख़ सहर से है तो बस इतना सा गिला हम लोगों का

सफ़र के बा'द भी ज़ौक़-ए-सफ़र न रह जाए

लहर का ख़्वाब हो के देखते हैं

हम ऐसे सोए भी कब थे हमें जगा लाते

दर-ए-ख़याल भी खोलें सियाह शब भी करें

चलते हुए मुझ में कहीं ठहरा हुआ तू है

अभी तो आप ही हाइल है रास्ता शब का

अब इख़्तियार में मौजें न ये रवानी है

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