आफ़ताब हुसैन कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आफ़ताब हुसैन (page 2)
नाम | आफ़ताब हुसैन |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Aftab Hussain |
जन्म स्थान | Austria |
दिलों के बाब में क्या दख़्ल 'आफ़्ताब-हुसैन'
दिल-ए-मुज़्तर वफ़ा के बाब में ये जल्द-बाज़ी क्या
चलो कहीं पे तअल्लुक़ की कोई शक्ल तो हो
बदल रहे हैं ज़माने के रंग क्या क्या देख
अज़ाब-ए-बर्क़-ओ-बाराँ था अँधेरी रात थी
असास-ए-जिस्म उठाऊँ नए सिरे से मगर
अपने ही दम से चराग़ाँ है वगरना 'आफ़्ताब'
अभी है हुस्न में हुस्न-ए-नज़र की कार-फ़रमाई
अभी दिलों की तनाबों में सख़्तियाँ हैं बहुत
ज़रा सी देर को चमका था वो सितारा कहीं
ये जब्र भी है बहुत इख़्तियार करते हुए
वो सर से पाँव तक है ग़ज़ब से भरा हुआ
तुम्हारे बाद रहा क्या है देखने के लिए
शब-ए-सियाह पे वा रौशनी का बाब तो हो
क़दम क़दम पे किसी इम्तिहाँ की ज़द में है
निगाह के लिए इक ख़्वाब भी ग़नीमत है
मुनाफ़िक़त का निसाब पढ़ कर मोहब्बतों की किताब लिखना
मक़ाम-ए-शौक़ से आगे भी इक रस्ता निकलता है
मैं सोचता हूँ अगर इस तरफ़ वो आ जाता
किसी तरह भी तो वो राह पर नहीं आया
किसी नज़र ने मुझे जाम पर लगाया हुआ है
करता कुछ और है वो दिखाता कुछ और है
कमी रखता हूँ अपने काम की तकमील में
कहाँ किसी पे ये एहसान करने वाला हूँ
कभी जो रास्ता हमवार करने लगता हूँ
जब सफ़र से लौट कर आने की तय्यारी हुई
इस अँधेरे में जो थोड़ी रौशनी मौजूद है
हर फूल है हवाओं के रुख़ पर खिला हुआ
गुज़रते वक़्त की कोई निशानी साथ रखता हूँ
घड़ी घड़ी उसे रोको घड़ी घड़ी समझाओ