किसे ख़बर वो मोहब्बत थी या रक़ाबत थी
बहुत से लोग तुझे देख कर हमारे हुए
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Anwar Masood
Wasi Shah
Habib Jalib
Javed Akhtar
Gulzar
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
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जुज़ तिरे कोई भी दिन रात न जाने मेरे
कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो
ले उड़ा फिर कोई ख़याल हमें
मर गए प्यास के मारे तो उठा अब्र-ए-करम
इक तो हम को अदब आदाब ने प्यासा रक्खा
अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर
अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम
ये बे-दिली है तो कश्ती से यार क्या उतरें
भली सी एक शक्ल थी
मुझ से पहले
अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा है
उजाड़ घर में ये ख़ुशबू कहाँ से आई है