नई सदा हो नए होंट हों नया लहजा
नई ज़बाँ से कहो गर कहूँ फ़साना-ए-इश्क़
Gulzar
Anwar Masood
Rahat Indori
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(676) Peoples Rate This
नक़्शा लैल-ओ-नहार का खींचा है
कुछ न पूछो ज़ाहिदों के बातिन ओ ज़ाहिर का हाल
वो बज़्म में हैं रोते हैं उश्शाक़ चौ तरफ़
हंगाम-ए-क़नाअ'त दिल-ए-मुर्दा हुआ ज़िंदा
क्या आई थीं हूरें तिरे घर रात को मेहमाँ
तुम गले मिल कर जो कहते हो कि अब हद से न बढ़
गर बस चले तो आप फिरूँ अपने गर्द मैं
दुनिया ने मुँह पे डाला है पर्दा सराब का
पैदल न मुझे रोज़-ए-शुमार उन से दे
है सू-ए-फ़लक नज़र तमाशा क्या है
जितने अच्छे हैं मैं हूँ उन में बुरा
दूर से यूँ दिया मुझे बोसा