तन्हाई से बचाव की सूरत नहीं करूँ
मर जाऊँ क्या किसी से मोहब्बत नहीं करूँ
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Habib Jalib
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Gulzar
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(818) Peoples Rate This
मैं क़सीदा तिरा लिक्खूँ तो कोई बात नहीं
अगर कट-फट गया था मेरा दामन
मैं इस लिए भी तिरे फ़न की क़द्र करता हूँ
तमाम भीड़ से आगे निकल के देखते हैं
अमल बर-वक़्त होना चाहिए था
मिरी आदत मुझे पागल नहीं होने देती
वो अब तिजारती पहलू निकाल लेता है
तुम पे सूरज की किरन आए तो शक करता हूँ
तुझ से बिछड़ूँ तो तिरी ज़ात का हिस्सा हो जाऊँ
वो अपने हुस्न की ख़ैरात देने वाले हैं