तमाशा-गाह-ए-जहाँ में मजाल-ए-दीद किसे
यही बहुत है अगर सरसरी गुज़र जाएँ
Allama Iqbal
Anwar Masood
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Gulzar
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1062) Peoples Rate This
नींदों में फिर रहा हूँ उसे ढूँढता हुआ
ख़्वाब के फूलों की ताबीरें कहानी हो गईं
बहता आँसू एक झलक में कितने रूप दिखाएगा
मंज़र-ए-सुबह दिखाने उसे लाया न गया
अब न बहल सकेगा दिल अब न दिए जलाइए
अब शुग़्ल है यही दिल-ए-ईज़ा-पसंद का
शाम होती है तो याद आती है सारी बातें
थम गया दर्द उजाला हुआ तन्हाई में
वही उन की सतीज़ा-कारी है
दुख की चीख़ें प्यार की सरगोशियाँ रह जाएँगी
टूट गया हवा का ज़ोर सैल-ए-बला उतर गया
दिल फ़सुर्दा तो हुआ देख के उस को लेकिन