अहमद नदीम क़ासमी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अहमद नदीम क़ासमी (page 6)
नाम | अहमद नदीम क़ासमी |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Nadeem Qasmi |
जन्म की तारीख | 1916 |
मौत की तिथि | 2006 |
जन्म स्थान | Lahore |
जी चाहता है फ़लक पे जाऊँ
जब तिरा हुक्म मिला तर्क मोहब्बत कर दी
जब भी आँखों में तिरी रुख़्सत का मंज़र आ गया
जाने कहाँ थे और चले थे कहाँ से हम
हम उन के नक़्श-ए-क़दम ही को जादा करते रहे
हम कभी इश्क़ को वहशत नहीं बनने देते
हम दिन के पयामी हैं मगर कुश्ता-ए-शब हैं
होता नहीं ज़ौक़-ए-ज़िंदगी कम
हर लम्हा अगर गुरेज़-पा है
हमेशा ज़ुल्म के मंज़र हमें दिखाए गए
गो मिरे दिल के ज़ख़्म ज़ाती हैं
फ़ासले के मअ'नी का क्यूँ फ़रेब खाते हो
इक मोहब्बत के एवज़ अर्ज़-ओ-समा दे दूँगा
एजाज़ है ये तेरी परेशाँ-नज़री का
एहसास में फूल खिल रहे हैं
दिलों से आरज़ू-ए-उम्र-ए-जावेदाँ न गई
दावा तो किया हुस्न-ए-जहाँ-सोज़ का सब ने
बारिश की रुत थी रात थी पहलू-ए-यार था
अपने माहौल से थे क़ैस के रिश्ते क्या क्या
अंदाज़ हू-ब-हू तिरी आवाज़-ए-पा का था
अजीब रंग तिरे हुस्न का लगाव में था
अजब सुरूर मिला है मुझे दुआ कर के
अब तो शहरों से ख़बर आती है दीवानों की