अहमद नदीम क़ासमी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अहमद नदीम क़ासमी (page 3)
नाम | अहमद नदीम क़ासमी |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Nadeem Qasmi |
जन्म की तारीख | 1916 |
मौत की तिथि | 2006 |
जन्म स्थान | Lahore |
'नदीम' जो भी मुलाक़ात थी अधूरी थी
मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर हर तरफ़ हैं
मुझ को दुश्मन के इरादों पे भी प्यार आता है
मुझे मंज़ूर गर तर्क-ए-तअल्लुक़ है रज़ा तेरी
मिरे ख़ुदा ने किया था मुझे असीर-ए-बहिश्त
मिरा वजूद मिरी रूह को पुकारता है
मर जाता हूँ जब ये सोचता हूँ
मैं ने समझा था कि लौट आते हैं जाने वाले
मैं तेरे कहे से चुप हूँ लेकिन
मैं कश्ती में अकेला तो नहीं हूँ
लोग कहते हैं कि साया तिरे पैकर का नहीं
कुछ खेल नहीं है इश्क़ करना
किस तवक़्क़ो पे किसी को देखें
किस दिल से करूँ विदाअ' तुझ को
ख़ुदा करे कि तिरी उम्र में गिने जाएँ
ख़ुद को तो 'नदीम' आज़माया
कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा
जिस भी फ़नकार का शहकार हो तुम
जन्नत मिली झूटों को अगर झूट के बदले
इतना मानूस हूँ सन्नाटे से
हर लम्हा अगर गुरेज़-पा है
ग़म-ए-जानाँ ग़म-ए-दौराँ की तरफ़ यूँ आया
फ़रेब खाने को पेशा बना लिया हम ने
इक उम्र के ब'अद मुस्कुरा कर
इक सफ़ीना है तिरी याद अगर
दिल गया था तो ये आँखें भी कोई ले जाता
भरी दुनिया में फ़क़त मुझ से निगाहें न चुरा
अंदाज़ हू-ब-हू तिरी आवाज़-ए-पा का था
अजब तज़ाद में काटा है ज़िंदगी का सफ़र
आख़िर दुआ करें भी तो किस मुद्दआ के साथ