आख़िर दुआ करें भी तो किस मुद्दआ के साथ
कैसे ज़मीं की बात कहें आसमाँ से हम
Anwar Masood
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Gulzar
Wasi Shah
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(965) Peoples Rate This
दावर-ए-हश्र मुझे तेरी क़सम
जब तिरा हुक्म मिला तर्क मोहब्बत कर दी
बरस के छट गए बादल हवाएँ गाती हैं
जो लोग दुश्मन-ए-जाँ थे वही सहारे थे
गली के मोड़ पे बच्चों के एक जमघट में
लड़कियाँ चुनती हैं गेहूँ की सुनहरी बालियाँ
नया साल
बलाग़त का अलमिया
जाने कहाँ थे और चले थे कहाँ से हम
होता नहीं ज़ौक़-ए-ज़िंदगी कम
लबों पे नर्म तबस्सुम रचा के धुल जाएँ
उस वक़्त का हिसाब क्या दूँ