तकमील में उन उलूम के हो मसरूफ़
नेचर की जो ताक़तों को कर दें मकशूफ़
लेकिन तुम से उम्मीद क्या हो कि तुम्हें
ओहदा मतलूब है वतन है मालूफ़
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Parveen Shakir
Habib Jalib
Anwar Masood
Jaun Eliya
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Gulzar
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1313) Peoples Rate This
हर एक को नौकरी नहीं मिलने की
हक़ीक़ी और मजाज़ी शायरी में फ़र्क़ ये पाया
क्या वो ख़्वाहिश कि जिसे दिल भी समझता हो हक़ीर
ख़िलाफ़-ए-शरअ कभी शैख़ थूकता भी नहीं
इश्क़-ए-बुत में कुफ़्र का मुझ को अदब करना पड़ा
ख़त्म किया सबा ने रक़्स गुल पे निसार हो चुकी
बोले कि तुझ को दीन की इस्लाह फ़र्ज़ है
मेरी तक़दीर मुआफ़िक़ न थी तदबीर के साथ
तुम नाक चढ़ाते हो मिरी बात पे ऐ शैख़
ग़म्ज़ा नहीं होता कि इशारा नहीं होता
शैख़ अपनी रग को क्या करें रेशे को क्या करें
एक काफ़िर पर तबीअत आ गई