Hope Poetry of Akhtar Shirani (page 2)

Hope Poetry of Akhtar Shirani (page 2)
नामअख़्तर शीरानी
अंग्रेज़ी नामAkhtar Shirani
जन्म की तारीख1905
मौत की तिथि1948
जन्म स्थानLahore

कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता

किस को देखा है ये हुआ क्या है

काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें

झूम कर बदली उठी और छा गई

हर एक जल्वा-ए-रंगीं मिरी निगाह में है

हमारे हाथ में कब साग़र-ए-शराब नहीं

दिल में ख़याल-ए-नर्गिस-ए-जानाना आ गया

बजा कि है पास-ए-हश्र हम को करेंगे पास-ए-शबाब पहले

ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए

अगर वो अपने हसीन चेहरे को भूल कर बे-नक़ाब कर दे

आश्ना हो कर तग़ाफ़ुल आश्ना क्यूँ हो गए

आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या

अख़्तर शीरानी Hope Poetry in Hindi - Read famous Hope Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by अख़्तर शीरानी. Largest collection of Hope Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by अख़्तर शीरानी. Share the अख़्तर शीरानी Hope Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.