आज़ादी-ए-अफ़्कार से है उन की तबाही
रखते नहीं जो फ़िक्र-ओ-तदब्बुर का सलीक़ा
हो फ़िक्र अगर ख़ाम तो आज़ादी-ए-अफ़्कार
इंसान को हैवान बनाने का तरीक़ा
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Jaun Eliya
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Javed Akhtar
Wasi Shah
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मिरी निगाह में वो रिंद ही नहीं साक़ी
सवार-ए-नाक़ा-ओ-महमिल नहीं मैं
अमीन-ए-राज़ है मर्दान-ए-हूर की दरवेशी
दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है
इश्क़ तिरी इंतिहा इश्क़ मिरी इंतिहा
गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देख
गेसू-ए-ताबदार को और भी ताबदार कर
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
क्या इश्क़ एक ज़िंदगी-ए-मुस्तआ'र का
अफ़्लाक से आता है नालों का जवाब आख़िर
ये दैर-ए-कुहन क्या है अम्बार-ए-ख़स-ओ-ख़ाशाक
न पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमाँ-बर्बाद रहने की