जमाल-ए-इश्क़-ओ-मस्ती नय-नवाज़ी
जलाल-ए-इश्क़-ओ-मस्ती बे-नियाज़ी
कमाल-ए-इश्क़-ओ-मस्ती ज़र्फ़-ए-'हैदर'
ज़वाल-ए-इश्क़-ओ-मस्ती हर्फ़-ए-'राज़ी'
Wasi Shah
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करेंगे अहल-ए-नज़र ताज़ा बस्तियाँ आबाद
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्ताँ वालो
एक पहाड़ और गिलहरी
पास था नाकामी-ए-सय्याद का ऐ हम-सफ़ीर
बच्चे की दुआ
है याद मुझे नुक्ता-ए-सलमान-ए-ख़ुश-आहंग
मकानी हूँ कि आज़ाद-ए-मकाँ हूँ?
अक़्ल गो आस्ताँ से दूर नहीं
उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में
मता-ए-बे-बहा है दर्द-ओ-सोज़-ए-आरज़ूमंदी