लहजे का रस हँसी की धनक छोड़ कर गया

लहजे का रस हँसी की धनक छोड़ कर गया

वो जाते जाते दिल में कसक छोड़ कर गया

मौज-ए-हवा-ए-गुल सा वो गुज़रा था एक बार

फिर भी मशाम-ए-जाँ में महक छोड़ कर गया

आया था पिछली रात दबे पाँव मेरे घर

पाज़ेब की रगों में झनक छोड़ कर गया

लर्ज़ा गिरफ़्त-ए-लम्स की लज़्ज़त से बार बार

बाँहों में शाख़-ए-गुल की लचक छोड़ कर गया

आया था शहर-ए-गुल से बुलावा मिरे लिए

ज़िंदाँ में बेड़ियों की छनक छोड़ कर गया

था देखना कुछ अपना तिलिस्म-ए-हुनर उसे

बाग़-ए-बहिश्त ओ हूर ओ मलक छोड़ कर गया

आवारा कू-ब-कू ये उसे ढूँढती फिरे

पा-ए-हवा में कैसी सनक छोड़ कर गया

हँसते थे ज़ख़्म और भी खा खा के ज़र्ब-ए-संग

राहों में फूल दूर तलक छोड़ कर गया

हाथों में दे के खींच लीं रेशम-कलाइयाँ

कमरे में चूड़ियों की खनक छोड़ कर गया

आँखें न उस की बार-ए-नदामत से उठ सकीं

ज़ख़्मों पे मेरे और नमक छोड़ कर गया

पलकों पे जुगनुओं का बसेरा है वक़्त-ए-शाम

'अंजुम' मैं पानियों में चमक छोड़ कर गया

(840) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Lahje Ka Ras Hansi Ki Dhanak ChhoD Kar Gaya In Hindi By Famous Poet Anjum Irfani. Lahje Ka Ras Hansi Ki Dhanak ChhoD Kar Gaya is written by Anjum Irfani. Complete Poem Lahje Ka Ras Hansi Ki Dhanak ChhoD Kar Gaya in Hindi by Anjum Irfani. Download free Lahje Ka Ras Hansi Ki Dhanak ChhoD Kar Gaya Poem for Youth in PDF. Lahje Ka Ras Hansi Ki Dhanak ChhoD Kar Gaya is a Poem on Inspiration for young students. Share Lahje Ka Ras Hansi Ki Dhanak ChhoD Kar Gaya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.