साथ छूटे थे साथ छूटे हैं
ख़्वाब टूटे थे ख़्वाब टूटे हैं
मैं कहाँ जा के सच तलाश करूँ
आज-कल आइने भी झूटे हैं
Anwar Masood
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Gulzar
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
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तिरी यादों को प्यार करती हूँ
तुम को भुला रही थी कि तुम याद आ गए
मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था
ग़म की उलझी हुई लकीरों में
जंगल दिखाई देगा अगर ये यहाँ न हों
मजबूरियों के नाम पे सब छोड़ना पड़ा
तुझ को दुनिया के साथ चलना है
दफ़ना दिया गया मुझे चाँदी की क़ब्र में
अपनी आवारा-मिज़ाजी को नया नाम न दो
कुछ दिन से ज़िंदगी मुझे पहचानती नहीं