दफ़ना दिया गया मुझे चाँदी की क़ब्र में
मैं जिस को चाहती थी वो लड़का ग़रीब था
Habib Jalib
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Allama Iqbal
Gulzar
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1867) Peoples Rate This
ग़म की उलझी हुई लकीरों में
रंग इस मौसम में भरना चाहिए
जंगल दिखाई देगा अगर ये यहाँ न हों
अपनी आवारा-मिज़ाजी को नया नाम न दो
जिन के आँगन में अमीरी का शजर लगता है
कुछ दिन से ज़िंदगी मुझे पहचानती नहीं
मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था
मजबूरियों के नाम पे सब छोड़ना पड़ा
साथ छूटे थे साथ छूटे हैं
आग बहते हुए पानी में लगाने आई
तुझ को दुनिया के साथ चलना है