देते नहीं सुझाई जो दुनिया के ख़त्त-ओ-ख़ाल
आए हैं तीरगी में मगर रौशनी से हम
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Gulzar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(754) Peoples Rate This
आज का झगड़ा आज चुका
किस की जबीं पे हैं ये सितारे अरक़ अरक़
हर चंद उन्हें अहद फ़रामोश न होगा
रहे ज़रा दिल-ए-ख़ूँ-गश्ता पर नज़र 'अंजुम'
यहाँ तो फिर वही दीवार-ओ-दर निकल आए
दुखी दिलों के लिए ताज़ियाना रखता है
मौसम का आह-ओ-नाला से अंदाज़ा कीजिए
है जो तासीर सी फ़ुग़ाँ में अभी
आएगी हम को रास न यक-रंगी-ए-ख़ला
और कुछ दिन ख़राब हो लीजे
सच के सौदे में न पड़ना कि ख़सारा होगा