मैं चीख़ता रहा कुछ और भी है मेरा इलाज
मगर ये लोग तुम्हारा ही नाम लेते रहे
Habib Jalib
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Gulzar
Wasi Shah
Allama Iqbal
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1292) Peoples Rate This
एक महबूस नज़्म
एक क़दीम ख़याली की निगरानी में
हाँ ज़माने की नहीं अपनी तो सुन सकता था
तुम अकेले में मिले ही नहीं वर्ना तुम को
इतना बे-ताब न हो मुझ से बिछड़ने के लिए
एक साकित रात का अज़ाब
ये मोहब्बत का जो अम्बार पड़ा है मुझ में
दर्द से भरता रहा ज़ात के ख़ाली-पन को
सख़्त मुश्किल में किया हिज्र ने आसान मुझे
मिट के आसूदा हो गया हूँ मैं
मैं दिल-ए-गिरफ़्ता तुझे गुनगुनाता रहता हूँ
गिर्या