है देखने वालों को सँभलने का इशारा
थोड़ी सी नक़ाब आज वो सरकाए हुए हैं
Jaun Eliya
Anwar Masood
Habib Jalib
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Gulzar
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(698) Peoples Rate This
मैं क्यूँ भूल जाऊँ
चमन में कौन है पुरसान-ए-हाल शबनम का
हुस्न पर दस्तरस की बात न कर
भारत के वीर सिपाही
दर्द मेराज को पहुँचता है
इश्क़-ए-बुताँ का ले के सहारा कभी कभी
मौत ही इंसान की दुश्मन नहीं
कारवाँ से कुछ इस तरह बिछड़े
ये दौर-ए-ख़िरद है दौर-ए-जुनूँ इस दौर में जीना मुश्किल है
जिस में हो दोज़ख़ का डर क्या लुत्फ़ उस जीने में है
वो सहरा जिस में कट जाते हैं दिन याद-ए-बहाराँ से
वो ले के हौसला-ए-अज़्म-ए-बे-पनाह चले