उस ने मिरी निगाह के सारे सुख़न समझ लिए
फिर भी मिरी निगाह में एक सवाल है नया
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सौ रंग है किस रंग से तस्वीर बनाऊँ
'अतहर' तुम ने इश्क़ किया कुछ तुम भी कहो क्या हाल हुआ
इक आग ग़म-ए-तन्हाई की जो सारे बदन में फैल गई
ऐ मुझ को फ़रेब देने वाले
सोचते और जागते साँसों का इक दरिया हूँ मैं
हम भी बदल गए तिरी तर्ज़-ए-अदा के साथ साथ
फिर कोई नया ज़ख़्म नया दर्द अता हो
ये धूप तो हर रुख़ से परेशाँ करेगी
दरवाज़ा खुला है कि कोई लौट न जाए
इक शक्ल हमें फिर भाई है इक सूरत दिल में समाई है
साया मेरा साया वो
सुकूत-ए-शब से इक नग़्मा सुना है